Breaking News
उत्तराखण्ड नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जल्द जारी होगी
मुख्यमंत्री धामी ने सौंग बांध परियोजना पर विस्थापन की कार्यवाही जल्द करने के दिए निर्देश
कल से शुरू होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट, जाने मैच से जुडी बातें
कांतारा: चैप्टर 1 की रिलीज डेट आउट, 2 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म
दूनवासियों के लिए खतरा बनी हवा, चिंताजनक आंकड़े निकलकर आए सामने
ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा
क्रेश बैरियरों की खराब स्थिति को लेकर महाराज ने रोष जाहिर किया
दूरस्थ क्षेत्र पैठाणी में होगा उच्च शिक्षा को लेकर महामंथन
सर्दियों में टूटने लगे हैं बाल तो इस चीज से करें मालिश, नहीं होगा नुकसान

उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश किया गया धर्मांतरण विरोधी कानून

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को गैरकानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश किया है, जिसमें उल्लंघन करने वालों के लिए अधिकतम सजा को आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये के जुर्माने तक बढ़ा दिया गया है।

उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2024 के संशोधित प्रावधानों के तहत, यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के इरादे से किसी महिला, नाबालिग या किसी को धमकाता है, हमला करता है, शादी करता है या शादी करने का वादा करता है, इसके लिए साजिश रचता है या तस्करी करता है, तो अपराध को सबसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। संशोधित विधेयक में ऐसे मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान है। पहले, अधिकतम सजा 10 साल और 50,000 रुपये का जुर्माना था।

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सोमवार को सदन में विधेयक पेश किया। संशोधन अब किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के मामलों में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है। पहले शिकायत दर्ज कराने के लिए पीड़ित, माता-पिता या भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी थी, लेकिन अब कोई भी व्यक्ति लिखित में पुलिस को सूचना दे सकता है।

बिल में प्रस्ताव है कि ऐसे मामलों की सुनवाई केवल सत्र न्यायालय द्वारा की जाएगी और सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। साथ ही, इस अधिनियम के तहत सभी अपराधों को गैर-जमानती बनाया गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘लव जिहाद’ पर अंकुश लगाने के लिए इस संशोधन की शुरुआत की, जो कुछ हिंदू समूहों द्वारा विवाह के माध्यम से कथित जबरन धर्मांतरण का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। नवंबर 2020 में एक अध्यादेश जारी किया गया था और उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा विधेयक पारित होने के बाद, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 लागू हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top