Breaking News
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार 2024 प्रदान किए
शिक्षा विभाग में तैनात होंगे 599 और अतिथि शिक्षक
ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिकता पर ऋण दें सार्वजनिक सेक्टर के बैंक
उत्तराखण्ड में निराश्रित गौवंशीय पशुओं को गोद लेने वालों को दिया जाता है सर्वाधिक मानदेय
आईएमए में पासिंग आउट परेड 14 दिसंबर को होगी आयोजित
दिव्यांगजन दिवस- फर्जी चिकित्सा प्रमाण-पत्रों पर नौकरी करने वालों की जांच की मांग
मलाइका अरोड़ा ने बिखेरा हुस्न का जलवा, खुली जुल्फों में देखें स्टाइलिश फोटोज
राष्ट्रीय खेलों की तिथि फाइनल, 28 जनवरी 2025 से देवभूमि उत्तराखंड करेगा नेशनल गेम्स की मेजबानी
सर्दियों में तमाम लोग नहाते हुए करते हैं ये गलती, डैंड्रफ की है सबसे बड़ी वजह

राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के बावजूद अयोध्या में क्यों हारी भाजपा?

अयोध्या। लोकसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो चुके हैं। यूपी में बीजेपी को करारा झटका लगा है। यहां की 80 सीटों में सपा को 37, बीजेपी को 33, कांग्रेस को 6, आरएलडी को 2, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को एक और अपना दल (सोनेलाल) को एक सीट मिली है।

यूपी में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े अयोध्या से सामने आए हैं। अयोध्या में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों से जीते हैं। उन्हें कुल 5,54,289 वोट मिले। जबिक बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के सच्चिदानंद पांडे रहे, उन्हें 46,407 वोट मिले।

बीजेपी ने राम मंदिर के मुद्दे पर देशभर में माहौल बनाया था और उसे उम्मीद थी कि इसका फायदा उसे यूपी के लोकसभा चुनावों में मिलेगा। लेकिन बीजेपी की ये रणनीति न सिर्फ यूपी में धराशायी हो गई बल्कि अयोध्या में भी उसे बिल्कुल विपरीत नतीजे मिले।

जनता के बीच भी ये चर्चा जोरों पर है कि जिस अयोध्या में बीजेपी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का इतना बड़ा आयोजन किया और इस इवेंट को दुनियाभर में हाईलाइट किया, वहां से वह हार गई।

अयोध्या में पीएम मोदी खुद गए, सीएम योगी ने भी कई दौरे किए, देशभर की हस्तियों को यहां बुलाया गया, फिर भी बीजेपी यहां से जीत हासिल नहीं कर सकी।

अयोध्या में क्यों हारी भाजपा
दरअसल अयोध्या में पासी बिरादरी बड़ी संख्या में है। ऐसे में सपा ने पासी चेहरे अवधेश प्रसाद को अयोध्या में अपना उम्मीदवार बनाया। यूपी की सियासत में अवधेश प्रसाद दलितों का एक बड़ा चेहरा हैं और उनकी छवि एक जमीनी नेता की है। सपा को अयोध्या में दलितों का खूब वोट मिला। तो वहीं सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की अयोध्या की जनता पर अच्छी पकड़ है। इस बात का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि वह 9 बार के विधायक हैं और मंत्री भी रहे हैं। वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।

अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह वही नेता हैं, जिन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है। उनके इस बयान का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा। लल्लू सिंह अयोध्या से 2 बार से सांसद हैं। बीजेपी ने उन्हें तीसरी बार उम्मीदवार बनाया। जबकि जनता के बीच लल्लू को लेकर काफी नाराजगी दिखी क्योंकि अयोध्या के आस-पास के इलाकों में विकास के कार्य नहीं हुए। राम मंदिर पर फोकस्ड होने की वजह से जनता के मुद्दे पीछे छूटते गए। जिसका असर ये हुआ कि लल्लू को कम वोट पड़े।

राम मंदिर निर्माण के लिए घर और दुकान तोड़े गए
अयोध्या में 14 किलोमीटर लंबा रामपथ बनाया गया। इसके अलावा भक्ति पथ और रामजन्मभूमि पथ भी बना। ऐसे में इसकी जद में आने वाले घर और दुकानें टूटीं लेकिन मुआवजा सभी को नहीं मिल सका। मुआवजा केवल उन्हें मिला, जिसके पास कागज थे। ऐसे में लोगों के बीच नाराजगी थी। जिसे उन्होंने वोट न देकर जाहिर किया।

अयोध्या में आरक्षण भी बहुत बड़ा मु्द्दा रहा क्योंकि बीजेपी नेताओं की बयानबाजी से जनता के बीच ये मैसेज गया कि बीजेपी आरक्षण को खत्म कर देगी। संविधान को बदल देगी। ऐसे में वोटरों का एक बड़ा तबका सपा की ओर चला गया।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top