चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान से किए गए बंद

चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान से किए गए बंद
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देहरादून। पंच केदारों में से चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट विधि-विधान से  शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अब श्रद्धालु ग्रीष्मकाल में छह माह तक भगवान रुद्रनाथ के दर्शन गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में करेंगे। कपाट बंद होने के मौके पर रुद्रनाथ मंदिर में करीब 300 भक्तगण मौजूद रहे। मंगलवार को भक्तों के साथ रुद्रनाथ की डोली डुमक गांव पहुंचेगी।

समुद्रतल से 11808 मीटर की ऊंचाई पर चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर स्थित है। यहां भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं। 18 मई को ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर के कपाट खोले गए थे। पूरे सीजन में रुद्रनाथ मंदिर के दर्शनों के लिए तीर्थयात्रियों के पहुंचने का सिलसिला बना रहा। सोमवार को तड़के से ही भगवान रुद्रनाथ की विशेष पूजाएं शुरू हो गईं। सुबह नौ बजे अभिषेक पूजा हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने रुद्रनाथ भगवान के दर्शन किए। दोपहर में भगवान को भोग लगाने के बाद अपराह्न तीन बजे विधि-विधान से मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इस बार रुद्रनाथ की डोली ग्रीष्मकालीन गद्दी स्थल गोपेश्वर के लिए डुमक गांव से होकर आएगी।

जबकि अभी तक सगर गांव से होते हुए डोली को लाया जाता था। रुद्रनाथ के पुजारी आचार्य हरीश भट्ट ने बताया कि 18 अक्तूबर को रुद्रनाथ की डोली डुमक गांव पहुंचेगी। 19 को कुजौं-मेकोट गांव में गणजेश्वर मंदिर और 20 को डोली गोपीनाथ मंदिर में प्रवेश करेगी।

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