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कांग्रेस के लिए ओडिशा में मौका

कांग्रेस पार्टी पिछले 24 साल से ओडिशा में सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव में भी उसका वोट आधार लगातार सिमटता गया है और पिछली बार उसे साढ़े 13 फीसदी के करीब वोट मिला था। असल में 15 साल पहले बीजू जनता दल और भाजपा का तालमेल समाप्त होगा और उसके बाद दोनों अलग अलग चुनाव लड़ते हैं।

इससे धीरे धीरे कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी हो गई। अब फिर से बीजद और भाजपा साथ आ रहे हैं तो कांग्रेस को मौका बन रहा है कि वह अपने प्रदर्शन में सुधार करे। हालांकि कांग्रेस के केंद्रीय नेता इसके लिए पहले से तैयार नहीं थे। उनको नहीं लग रहा था कि बीजद और भाजपा में तालमेल होगा।

अब कहा जा रहा है कि पार्टी ने मेहनत शुरू की है। पूर्व आईपीएस अधिकारी और झारखंड से सांसद रहे डॉक्टर अजय कुमार ओडिशा के प्रभारी हैं और वे पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश में लगे हैं। पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना की कांग्रेस में वापसी हुई है। वे तटीय ओडिशा के मजबूत नेता हैं और कटक, केंद्रपाड़ा और बालासोर तीन सीटों से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। उससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री गिरधर गमांग ने सपरिवार कांग्रेस में वापसी की। इससे कांग्रेस की उम्मीदें जिंदा हुई हैं और पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि इस बार प्रदर्शन में थोड़ा सुधार हो सकता है।

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