Breaking News
यातायात समस्याओं का समाधान धरातल पर दिखे- सीएम धामी 
वक्फ कानून पर जम्मू-कश्मीर सदन में हंगामा, सत्तापक्ष व भाजपा विधायकों में धक्का-मुक्की
आईपीएल 2025- कोलकाता नाइट राइडर्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच मुकाबला आज
खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना के लिए फिर खुलेगा आवेदन
चिंतन शिविर में कांग्रेस ने सरकार के दावे को बताया हवा हवाई
LUCC घोटाले में सीबीसीआईडी की सख्त कार्रवाई
चारधाम यात्रा के लिए लगभग 25 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने इंटर क्रिकेट टूर्नामेंट के समापन समारोह में की शिरकत, विजेता और उप विजेता टीम को किया सम्मानित
सेतु आयोग 2050 तक का विजन डॉक्यूमेंट बनाएं- सीएम

कंगाली की राह पर पाकिस्तान, गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं एक करोड़ लोग

वर्ल्ड बैंक ने जारी की रिपोर्ट

इस्लामाबाद । पाकिस्तान की आर्थिक हालत लगातार खराब होती जा रही है। अब एक बार फिर ऐसी रिपोर्ट सामने आई जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान कंगाल होने की राह पर है और इसका सबसे बुरा प्रभाव वहां की आम आवाम को उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट विश्व बैंक की तरफ से आई है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है।

विश्व बैंक ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि नकदी संकट से जूझ रहे देश में एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं। विश्व बैंक की यह आशंका 1.8 प्रतिशत की सुस्त आर्थिक वृद्धि दर के साथ बढ़ती मुद्रास्फीति पर आधारित है जो चालू वित्त वर्ष में 26 प्रतिशत पर पहुंच गई है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिया कि पाकिस्तान अपने आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने से चूक सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अपने प्राथमिक बजट लक्ष्य से पीछे रहते हुए लगातार तीन साल तक घाटे में रह सकता है।

रिपोर्ट के मुख्य लेखक सैयद मुर्तजा मुजफ्फरी का कहना है कि हालांकि खराब आर्थिक हालत से निकलने के लिए प्रयास जारी हैं लेकिन यह अभी शुरुआती अवस्था में है। गरीबी उन्मूलन के जो प्रयास हो रहे हैं वो पर्याप्त नहीं हैं। आर्थिक वृद्धि मामूली 1.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है। लगभग 9.8 करोड़ पाकिस्तानी के पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं, गरीबी की दर लगभग 40 प्रतिशत पर बनी हुई है। रिपोर्ट में गरीबी रेखा के ठीक ऊपर रह रहे लोगों के लिए भी चेतावनी है।

विश्व बैंक ने आगाह किया है कि बढ़ती परिवहन लागत के साथ-साथ जीवनयापन खर्च बढऩे कारण स्कूल ना जाने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। किसी तरह गुजर-बसर कर रहे परिवारों के लिए बीमारी की स्थिति में इलाज में देरी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबों और हाशिये पर खड़े लोगों को कृषि उत्पादन में लाभ से फायदा होने की संभावना है। लेकिन यह लाभ लगातार बढ़ रही महंगाई, व्यापार और परिवहन जैसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में सीमित वेतन वृद्धि से बेअसर होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top