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ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा
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ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा

ईरान।  हिजाब के विरोध में अक्सर महिलाओं के विरोध प्रदर्शन देखने को मिलते हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया। ईरान की एक यूनिवर्सिटी कैंपस में एक युवती को सिर्फ अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए देखा गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। पब्लिक प्लेस में न्यूडिटी को प्रमोट करने के आरोप में उस युवती को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन अब इस मामले में अदालत का फैसला आ गया है।

अदालत ने दी मानसिक स्वास्थ्य को अहमियत
तेहरान की अदालत ने फैसला सुनाया कि इस छात्रा के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। अदालत ने कहा कि छात्रा अहौ दारयाई मानसिक रूप से बीमार थीं, और चिकित्सकों ने इसकी पुष्टि की है। न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने बताया कि छात्रा को अस्पताल भेजा गया था, जहां डॉक्टरों ने उसकी मानसिक स्थिति स्पष्ट की। इस आधार पर अदालत ने कहा कि छात्रा पर मुकदमा चलाने का कोई औचित्य नहीं है और उसे उसके परिवार को सौंप दिया गया है।

विरोध प्रदर्शन और वायरल वीडियो
इस महीने की शुरुआत में, अहौ दारयाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में वह तेहरान की इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में केवल अंडरगारमेंट्स में घूमती नजर आईं। बताया गया कि यह घटना इस्लामिक ड्रेस कोड के विरोध में हुई थी। यूनिवर्सिटी की सिक्योरिटी द्वारा रोके जाने के बाद, उन्होंने अपने कपड़े उतारकर विरोध प्रदर्शन किया।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया समर्थन
इस घटना के बाद, मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ईरान सरकार से छात्रा को तुरंत रिहा करने की अपील की थी। संगठन ने कहा था कि अहौ दारयाई को सभी प्रकार की यातनाओं और दुर्व्यवहार से बचाया जाए और उसे परिवार और वकील से संपर्क की सुविधा दी जाए।

पारिवारिक और मानसिक दबाव का असर
रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रा पारिवारिक समस्याओं के चलते मानसिक तनाव में थीं। उनके करीबी लोगों और सहपाठियों ने पहले भी उनके असामान्य व्यवहार के बारे में बताया था। अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए नरमी बरती और मामले को खत्म कर दिया। अहौ दारयाई की यह घटना ईरान में महिलाओं के अधिकारों और इस्लामिक ड्रेस कोड को लेकर चल रही बहस का हिस्सा बन गई है। हालांकि, अदालत ने इस मामले में उनकी मानसिक स्थिति को प्राथमिकता देते हुए इंसानियत का उदाहरण पेश किया है।

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